15 December 2025

10151 - 10155 दिल दस्तक़ मोहब्बत एहसास आग़ मुस्क़ान रंग ख़ुबसूरत आँख़ देर क़ाग़ज़ अहसास फ़न तस्वीर शायरी


10151
मोहब्बत क़ोई तस्वीर नहीं ज़नाब...
ज़ो देख़ लोग़े;
एक़ एहसास हैं,
ज़ो चुपक़ेसे दिलमें दस्तक़ देता हैं।


10152
लग़ाई तो थी आग़,
उसक़ी तस्वीरमें रातक़ो,
सुबह देख़ा तो मेरा दिल,
छालोंसे भरा पड़ा था।

10153
तस्वीरके रंग,
चाहे ज़ो भी हो...
किन्तु मुस्क़ानक़ा रंग हमेशा,
ख़ुबसूरत ही होता हैं....!!

10154
आ ज़ाओ सामने,
तुम्हे आँख़ोंमें बिठा लूँ,
तस्वीर बनानेमें ज़रा,
देर लग़ेग़ी।

10155
मुझे तस्वीर बनानेक़ा फ़न,
अग़र आता...
तुझे क़ाग़ज़पर उतारती,
अहसासोंक़े रंगोंसे.....

14 December 2025

10146 - 10150 मुसव्विर रंग मरहम ज़ख़्म निगाह आँख़ ज़ज़्बात अरमान आकाश बेखौफ़ आईना लम्हे इल्ज़ाम बारिश बौछार दीवार शायरी


10146
बनक़र मुसव्विर रंगोंसे,
मरहमक़ो ढ़ूढ़ लाती,
वो तस्वीर बना देती,
ज़ो हर ज़ख़्म छुपा पाती।

10147
निगाहोंसे ख़ीची हैं तस्वीर मैने,
जरा अपनी तस्वीर आक़र तो देख़ो,
तुम्हींक़ो इन आँख़ोंमें तुमक़ो दिख़ाऊँ,
इन आँख़ोंमें आँख़े मिलाक़र तो देख़ों।

10148
मनक़े हर ज़ज़्बातक़ो,
तस्वीर रंगोंसे बोलती हैं,
अरमानोंक़े आकाशपर,
पतंग बेखौफ़ डोलती हैं।

10149
ज़रूरी हैं तस्वीरें लेना भी...
आईना गुज़रे हुए लम्हे नहीं दिख़ाता...!

10150
क़िस मुँहसे इल्ज़ाम लगाएं,
बारिशक़ी बौछारोंपर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी,
मिट्टीक़ी दीवारोंपर…

13 December 2025

10141 - 10145 दिल बातें ख़ामोशी ग़म लक़ीर तक़दीर आईना ज़ग़ह यार तक़िये ख़याल बेपनाह इश्क़ साल तस्वीर शायरी


10141
बस ख़ामोशी ज़ला देती हैं,
इस दिलक़ो,
बाक़ि तो सब बातें अच्छी हैं,
तेरी तस्वीरमें।

10142
ग़मक़ी उलझी हुई लक़ीरोंमें,
अपनी तक़दीर देख़ लेता हूँ l
आईना देख़ना तो दूर रहा,
बस तेरी तस्वीर देख़ लेता हूँ ll

10143
तस्वीर देख़कर तेरी,
क़्या क़ुछ नहीं लिख़ा...
छोड़कर ख़ुदा तुझे,
क़्या क़ुछ नहीं लिख़ा ll

10144
मेरे दिलक़े क़िसी क़ोनेमें,
अब क़ोई ज़ग़ह नहीं,
कि तस्वीर-ए-यार हमने,
हर तरफ़ लग़ा रख़ी तुझे हैं

10145
तक़ियेके नीचे दबाक़े रख़ें हैं,
तुम्हारे ख़याल,
एक़ तस्वीर... बेपनाह इश्क़...
और बहुत सारे साल....

12 December 2025

10136 - 10140 जमाल जबां आँख आँसू उम्मीद नजर ज़ंजीर बातें गुफ़्तगू शख़्स दिल तन्हा मुस्कुरा किस्मत तस्वीर शायरी

 
10136
तेरे जमालकी,
तस्वीर खींच दूँ लेकिन,
जबांमें आँख नहीं,
आँखमें जबां नहीं...

                जिगर मुरादाबादी

10137
जब जब तुमसे मिलनेकी उम्मीद नजर आई,
तब तब मेरे पैरोंमें ज़ंजीर नजर आई,
निकल पड़े इन आँखोंसे हजारों आँसू,
हर आँसूमें आपकी तस्वीर नजर आई।

10138
भले ही तुम हमसे,
बातें करो या ना करो...
तुम्हारी तस्वीरसे हम रोज,
गुफ़्तगू किया करते हैं !

10139
जो शख़्स हैं दिलमें मेरे,
क्या हैं वो मेरी तकदीरमें भी?
देखो ना कितना तन्हा हूँ मैं,
मुस्कुराती हुई तस्वीरमें भी...

10140
मुस्कुराहटें किस्मतमें होनी चाहिये,
तस्वीरमें तो हर कोई मुस्कुराता हैं।

11 December 2025

10131 - 10135 अतीत पन्ने दौर कहानी हँस खेल यादें प्यारी सुहानी जमाना नयन बिंदी चाँद मन मीठा चूम पुरानी तस्वीर शायरी


10131
अतीतके पन्ने खोले,
पुरानी तस्वीर हमारी...
कैसे बदला दौर सारा,
कहती कहानी सारी...!

10132
मैं भी कभी हँसता खेलता था,
कल एक पुरानी तस्वीरमें देखा खुदको !!

10133
कैसा जमाना था,
वो यादें सुहानी सब प्यारी...
नयनोमें उतर आती,
पुरानी तस्वीर हमारी ll

10134
एक पुरानी तस्वीर,
जिसमे तुमने बिंदी लगाई हैं...!
मैं अक्सर उसे रातमें,
चाँद समझके देख लेता हूँ...!!!

10135
जब मन करता हैं,
रातमें मीठा खानेका,
हम चुपकेसे उठकर,
तेरी तस्वीर चूम लेते हैं !

10 December 2025

10126 - 10130 इश्क चेहरा पुरानी मिसरे हफ़्ता नज़्में हँस चाँद आकाश चूम बूँद अश़्क शीशे फैल तस्वीर शायरी

 
10126
बरसों बाद दिखा चेहरा,
तो समझे हम;
कैसे इक तस्वीर,
पुरानी होती हैं ll
                                  श्रीयांश काबिज़

10127
अब तो इक मिसरेको लेकर,
हफ़्तों बैठे रहते हैं l
पहले तेरी इक तस्वीरपें,
दो नज़्में हो जाती थीं ll
सिद्धार्थ साज़

10128
घर भरा होता हैं,
पर एक कमी होती हैं...
एक तस्वीर बहुत,
हँसती हुई होती हैं ll
                               ऋषभ शर्मा

10129
उस चाँदको भी इश्क होता होगा,
ज़ब मैं भी खुले आकाशमें,
उसीको देखकर,
तस्वीर उसकी चूमता था ll
अंकित यादव

10130
इक बूँद मेरे अश़्ककी,
शीशेपें गिर गई;
वो फैलती गई और,
तेरी तस्वीर बन गई........

9 December 2025

10121 - 10125 बटुआ बरकत दिन बाद साथ बदनज़र कुँवारी तस्वीर शायरी


10121
मेरा बटुआ नहीं होता हैं खाली...
तेरी तस्वीरकी बरकत रही माँ !
                                            सत्य प्रकाश सोनी

10122
तुम्हें वो मिल नहीं पाईं,
उन्हें तुम मिल नहीं पाए...
कन्हैया साथमें क्यों फिर,
सदा तस्वीर दिखती हैं...
अनमोल मिश्रा

10123
देखकर उसको दिन गुज़रते हैं;
एक तस्वीर जिसमें साथ हैं हम...
                                                 गोपेश "तन्हा"

10124
भेज देता हूँ मगर,
पहले बता दूँ तुझको...
मुझसे मिलता नहीं कोई,
मिरी तस्वीरके बाद...!!!
उमैर नजमी

10125
बदनज़रसे कभी नहीं देखा,
तेरी तस्वीर भी कुँवारी हैं...
                                            भावेश पाठक

8 December 2025

10116 - 10120 प्यार टूटे फूटे ख़्वाब ताबीर लफ्ज़ हंस चुपके आँखों सूरत हाथ लगा आज़मा तस्वीर शायरी

 
10116
अपने टूटे फूटे ख़्वाबोंकी,
ताबीर बनाता हूँ;
मैं बिखरे लफ्ज़ोंसे,
काग़ज़पर तस्वीर बनाता हूँ ll

10117
जब आँखोंमें लगाता हूँ,
तो चुपके-चुपके हंस-हंसकर...
तेरी तस्वीर भी कहती ,
सूरत ऐसी होती है !
                                             दाग़ देहलवी

10118
मेरी इक तस्वीर देखी तुमने,
पलभर प्यारसे...
और वो तस्वीर उस पल,
और प्यारी हो गई...!

10119
एक तस्वीर बनाऊंगा तेरी...
और फ़िर हाथ लगाऊंगा तुझे...!

10120
इस तरहसे न आज़माओ मुझे,
उसकी तस्वीर मत दिखाओ मुझे...

                                        अली ज़ारयून

7 December 2025

10111 - 10115 मोहब्बत तन्हा आँख मुसीबत साथ खत सूखे फूल उदास निशानि जुनूँ अक़्ल चाह तस्वीर शायरी

 
10111
यार तस्वीरमें तन्हा हूँ,
मगर लोग मिले;
कई तस्वीरसे पहले,
कई तस्वीरके बाद...
                             उमैर नजमी

10112
देरतक आँख,
मुसीबतमें पड़ी रहती हैं...
तुम चले जाते हो,
तस्वीर बनी रहती हैं...
फौज़िया रबाब

10113
जिस शख़्ससे शदीद,
मोहब्बत हो तुमको...
वो तस्वीरमें दिखाया गया हो,
किसीके साथ......
                                             मुईद मिर्ज़ा

10114
उसकी तस्वीर,
बंद आँखोसे,
पहले बनती थी,
अब नहीं बनती ll
विशाल बाग

10115
वो तेरे खत, तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी;
इक बार तुझे अक़्लने चाहा था भुलाना,
सौ बार जुनूँने तिरी तस्वीर दिखा दी ll
                                            माहिर-उल क़ादरी

6 December 2025

10106 - 10110 आँसु बेबसी दास्ताँ दर्द अशआर माँग ग़मग़ीन सूरत बना बता क़मरे उदासी क़यामत तस्वीर शायरी


10106
आँसुओंसे लिख रहे हैं,
बेबसीक़ी दास्ताँ...
लग रहा हैं,
दर्दक़ी तस्वीर बन जाएँगे हम ll

                                    अज़्म शकरी

10107
मेरे अशआर पढ़नेवाले लोग,
तेरी तस्वीर माँग बैठे हैं...
शादाब जावेद

10108
इक़ बनानी थी,
उसे ग़मग़ीन सूरत...
वो बनाता ही गया,
तस्वीर मेरी......

                दिलीप कुमार

10109
तेरी तस्वीर अगर बनाते हम...
तेरे बारेमें क्या बताते हम ll
ताजदीद कैसर

10110
मेरे क़मरेमें उदासी हैं,
क़यामतक़ी मगर,
एक़ तस्वीर पुरानीसी,
हँसा क़रती हैं ll

                     अब्बास क़मर

5 December 2025

10101 - 10105 दिल मोड़ मज़बूरी गरीबी हँसी रोटी हुकूमत फ़र्क़ अक्स-ए-मुकम्मल जुदा पर्दे फिजूलखर्ची तस्वीर शायरी


10101
वो रोए तो बहुत पर मुझसे मुँह मोड़कर रोए,
कोई मज़बूरी होगी जो दिल तोड़कर रोए,
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीरके टुकड़े,
पता चला मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए…

10102
गरीबी की क्या खूब,
हँसी उड़ाई जाती हैं,
एक रोटी देकर,
सौ तस्वीर खिंचाई जाती हैं…

10103
अगर हुकूमत तुम्हारी तस्वीर,
छाप दे नोटपर मेरी दोस्त...
तो देखना तुम कि लोग,
बिल्कुल फिजूलखर्ची नहीं करेंगे...
                                     रहमान फ़ारिस

10104
फ़र्क़ इतना हैं कि,
तू पर्देमें और मैं बे-हिजाब...
वर्ना मैं अक्स-ए-मुकम्मल हूँ,
तिरी तस्वीरका...
असद भोपाली

10105
तू कभी मुझसे मिला तस्वीर मेरी,
देख फिर कोई जुदा तस्वीर मेरी ll
                                                   दिलीप कुमार

4 December 2025

10096 - 10100 दिल मुस्कान आँखें जुआ सूरत गुमान बारिश बूँद झलक चाहत नाज़-ओ-नियाज़ खंजर तस्वीर शायरी


10096
तस्वीरकी मुस्कान,
अब भी वही हैं,
बस देखनेवालीआँखें,
बूढ़ी हो गई हैं…

10097
बने हुए हैं वो महफ़िलमें,
सूरत-ए-तस्वीर,
हरएकको ये गुमान हैं,
कि इधरको देखते हैं।

10098
बारिशकी बूँदोंमें झलकती हैं,
तस्वीर उनकी,
और हम उनसे मिलनेकी चाहतमें,
भीग जाते हैं…

10099
तेरी सूरत देखकर,
हज़ारोंने दिल हारे हैं,
कौन कहता हैं,
तस्वीरें जुआ नहीं खेलती…

10100
तस्वीर 
हैं खिंची हुई,
नाज़-ओ-नियाज़की,
मैं सर झुकाए और,
वो खंजर लिए हुए।

3 December 2025

10091 - 10095 सच झूठ पल अधूरे हँसी आँखें उदास दीवार गूंज वक़्त खामोशी तस्वीर शायरी

 
10091
तस्वीरें झूठ नहीं बोलतीं,
पर सचको भी कहां,
बयाँ कर पाती हैं…

10092
तस्वीरें बस रंग नहीं होतीं,
वो पल होते हैं,
जो लौटकर नहीं आते…

10093
तस्वीरमें भी,
कुछ रंग अधूरे हैं,
वो हँसी हैं पर,
आँखें अब भी उदास हैं…

10094
दीवार पर टंगी हैं,
तेरी तस्वीर,
पर वो आवाज़ें कहाँ,
जो कमरेमें गूंजती थीं…

10095
तस्वीरें कभी,
झूठ नहीं बोलतीं,
बस वक़्तकी खामोशी,
याँ करती हैं…

2 December 2025

10086 - 10090 मोहब्बत तौबा रौशनी साया नीयत चेहरे अदा अंदाज़ हिस्सा हाथ आँसु तस्वीर शायरी

 
10086
सोचता हूँ तेरी,
तस्वीर दिखा दूँ उसको;
रौशनीने कभी,
साया नहीं देखा अपना

                        इक़बाल अशहर

10087
आज फिर की थी,
मैने मोहब्बतसे तौबा,
आज फिर तेरी तस्वीर देखकर,
नीयत बदल गई !

10088
कुछ ऐसा अंदाज़ हैं,
उनकी हर अदामें,
के तस्वीर भी देखूँ तो,
खुशी आ जाती हैं चेहरेपें.!!!

10089
उस तस्वीरका एक हिस्सा,
खो गया मुझसे,
जिस तस्वीरमें,
तेरा हाथ था मेरे हाथमें !

10090
सुनो मुझे अपनी,
दूसरी तस्वीर दे दो,
पुरानी आँसुओंसे,
धुल गई हैं..!!

1 December 2025

10081 - 10085 रात मुसव्विर आँख थकन झाँक हुस्न-ए-ख़त मुतअज्जिब ख़त अलमारी आवाज़ सिलवट निगाह तस्वीर शायरी

 
10081
लगता हैं कई,
रातोंका जागा था मुसव्विर...
तस्वीरकी आँखोंसे,
थकन झाँक रही हैं...

10082
हुस्न-ए-ख़तसे मिरे,
इतना मुतअज्जिब क्यों हैं...
ख़त लिखा हैं,
अलमारीमें तस्वीरें रखता हूँ,
अब बचपन और बुढ़ापा एक हुए ll
ख़्तर होशियारपुरी

10083
जिसकी आवाज़में सिलवट हो,
निगाहोंमें शिकन...
ऐसी तस्वीरके टुकड़े,
नहीं जोड़े जाते......
                                  गुलज़ार

10084
तस्वीर मैने मांगी थी,
शोखी तो देखिए...
इक फूल उसने भेज दिया हैं,
गुलाबका...!
अन्दलीब शादानी

10085
क्या जुदाईका असर हैं,
कि शबे तन्हाई...
तेरी तस्वीरसे मिलती नहीं,
सूरत मेरी......

                                    दाग़ देहलवी

30 November 2025

10076 - 10080 कमबख़्त दश्त-ए-तमन्ना दरिया सफ़र अक्स सूरत आईना खिड़की बारिश बिजली बादल तस्वीर शायरी

 
10076
कहीं ऐसा न हो,
कमबख़्तमें जान आ जाए...
इसलिए हाथमें,
लेते मिरी तस्वीर नहीं......

                            मुबारक अज़ीमाबादी

10077
शहर हो दश्त-ए-तमन्ना हो,
कि दरियाका सफ़र...
तेरी तस्वीरको,
सीनेसे लगा रक्खा हैं......
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

10078
देखना पड़ती हैं ख़ुद ही,
अक्सकी सूरत-गरी ;
आईना कैसे बताए,
आईनेमें कौन हैं......

                          अफ़ज़ल गौहर राव

10079
आज तो ऐसे बिजली चमकी,
बारिश आई, खिड़की भीगी...
जैसे बादल खींच रहा हो,
मेरे अश्कोंकी तस्वीरें......
मुकेश आलम

10080
सूरत-ए-वस्ल निकलती,
किसी तदबीरके साथ...
मेरी तस्वीर ही खिंचती,
तिरी तस्वीरके साथ......

29 November 2025

10071 - 10075 प्यार रंग ख़्वाब मुकम्मल अधूरी अयादत ख़ुशबू गिरफ़्त-ए-अक्स वादे क़ाबिल आँखें तस्वीर शायरी


10071
वो अयादतको तो आया था,
मगर जाते हुए...
अपनी तस्वीरेंभी कमरेसे,
उठाकर ले गया ll

                              अर्श सिद्दीक़ी


10072
प्यार गया तो कैसे मिलते रंगसे रंग,
और ख़्वाबसे ख़्वाब l
एक मुकम्मल घरके अंदर,
हर तस्वीर अधूरी थी...ll
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

10073
ख़ुशबू गिरफ़्त-ए-अक्समें लाया,
और उसके बाद...
मैं देखता रहा,
तिरी तस्वीर थक गई !

                                         ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

10074
तिरी तस्वीर तो,
वादेके दिन खिंचनेके क़ाबिल हैं l
कि शर्माई हुई आँखें हैं,
घबराया हुआ दिल हैं ll
नज़ीर इलाहाबादी


10075
रोज़ हैं दर्द-ए-मोहब्बतका,
निराला अंदाज़...
रोज़ दिलमें तिरी तस्वीर,
बदल जाती हैं ll

                                        फ़ानी बदायुनी

28 November 2025

10066 - 10070 दिल नक़्श हर्फ़ लफ़्ज़ मुकम्मल इज़हार सूरत परस्त ख़याल दीवार ताब-ए-नज़्ज़ारा आईना तस्वीर शायरी


10066
हर्फ़को लफ़्ज़ न कर,
लफ़्ज़को इज़हार न दे l
कोई तस्वीर मुकम्मल न बना,
उसके लिए...
                           मोहम्मद अहमद रम्ज़

10067
सूरत छुपाईए,
किसी सूरत-परस्तसे ;
हम दिलमें नक़्श,
आपकी तस्वीर कर चुके ll
अनवर देहलवी

10068
आता था जिसको देखके,
तस्वीरका ख़याल...
अब तो वो कील भी,
मिरी दीवारमें नहीं......
                               ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

10069
ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं,
आईना क्या देखने दूँ..
और बन जाएँगे तस्वीर,
जो हैराँ होंगे...!
मोमिन ख़ाँ मोमिन

10070
कल तेरी तस्वीर,
मुकम्मल की मैने ;
फ़ौरन उसपर,
तितली आकर बैठ गई !!!
                             इरशाद ख़ान सिकंदर

27 November 2025

10061 - 10065 मोहब्बत शौक़ दिल लहू रंग हया ताज़ा ख़याली रुख़ ग़म-ए-जानाँ नक़्श तस्वीर शायरी

 
10061
इक मोहब्बतकी,
ये तस्वीर हैं दो रंगोंमें...
शौक़ सब मेरा हैं और,
सारी हया उसकी हैं...ll
                                जावेद अख़्तर

10062
मैं लाख इसे ताज़ा रखूँ,
दिलके लहूसे...
लेकिन तिरी तस्वीर,
ख़याली ही रहेगी ll
ज़ेब ग़ौरी

10063
हम हैं उसके,
ख़यालकी तस्वीर...
जिसकी तस्वीर हैं,
ख़याल अपना...
                        फ़ानी बदायुनी

10064
कह रही हैं,
ये तिरी तस्वीर भी;
मैं किसीसे,
बोलनेवाली नहीं...
नूह नारवी

10065
तस्वीरके दो रुख़ हैं,
जाँ और ग़म-ए-जानाँ...
इक नक़्श छुपाना हैं,
इक नक़्श दिखाना हैं......
                          जिगर मुरादाबादी

26 November 2025

10056 - 10060 दिल तबीअत मुश्किल चित्राधार चेहरे पुराने काग़ज़ साथ ख़ामोशी आवाज़ रौशनी तस्वीर

 
10056
जिससे ये तबीअत,
बड़ी मुश्किलसे लगी थी;
देखा तो वो तस्वीर,
हर इक दिलसे लगी थी...
                           अहमद फ़राज़

10057
रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें,
धुँदली होने लगती हैं l
कितने चेहरे,
एक पुराने चित्राधारमें मर जाते हैं ll
ख़ुशबीर सिंह शाद

10058
मुद्दतों बाद उठाए थे,
पुराने काग़ज़...
साथ तेरे मिरी,
तस्वीर निकल आई हैं!
                           साबिर दत्त

10059
रंग दरकार थे,
हमको तिरी ख़ामोशीके...
एक आवाज़की,
तस्वीर बनानी थी हमें ...
नाज़िर वहीद

10060
सोचता हूँ तिरी तस्वीर,
दिखा दूँ उसको...
रौशनीने कभी साया,
नहीं देखा अपना......
                    इक़बाल अशहर

25 November 2025

10051 - 10055 दिल सज़ा सूरत परस्त नक़्श मर्ज़ी नज़र औराक़-ए-मुसव्वर शक्ल हद तस्वीर शायरी

 
10051
सूरत छुपाइए,
किसी सूरत-परस्तसे...
हम दिलमें नक़्श,
आपकी तस्वीर कर चुके...!
                                     अनवर देहलवी

10052
उनको ये लिखकर 'शकील'
आपकी मर्ज़ी हैं,
चाहे जिस नज़रसे देखिए…
शकील बदायूनी

10053
दिल्लीके न थे कूच्चे,
औराक़-ए-मुसव्वर थे l
जो शक्ल नज़र आई,
तस्वीर नज़र आई ll

                     मीर तक़ी मीर

10054
कुछ तो इस दिलको सज़ा दी जाए,
उसकी तस्वीर हटा दी जाए ll
मोहम्मद अल्वी

10055
मैने भी देखनेकी हद कर दी,
वो भी तस्वीरसे निकल आया l

                                    शहपर रसूल

24 November 2025

10046 - 10050 नज़र अच्छे रंग ख़ुश्बू मौसम बहाना चेहरा पुराना दीवार ताजमहल उदास मुस्कुरा तस्वीर शायरी

 
10046
बहुतसे लोग हैं,
तस्वीरमें अच्छे बहुत अच्छे...
तेरे चेहरेपें ही मेरी नज़र,
हरदम ठहरती हैं...!
                                       उमेश मौर्य


10047
रंग ख़ुश्बू और मौसमका,
बहाना हो गया…
अपनी ही तस्वीरमें,
चेहरा पुराना हो गया ll
खालिद गनी

10048
एक कमी थी ताजमहलमें,
मैने तिरी तस्वीर लगा दी !

                                         कैफ़ भोपाली
 
10049
जो चुप-चाप रहती थी दीवारपर,
वो तस्वीर बातें बनाने लगी…!
आदिल मंसूरी
 
10050
मुझको अक्सर उदास करती हैं,
एक तस्वीर मुस्कुराती हुई…!

                                           विकास शर्मा राज़

23 November 2025

10041 - 10045 दिल ज़िंदगी आईने यार झुका गुफ़्तुगू पसंद रूठ रंग ख़मोशी ग़ौर तस्वीर शायरी

 
10041
दिलके आईनेमें हैं तस्वीर-ए-यार,
जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली...
                                लाला मौजी राम मौजी

10042
चुप-चाप सुनती रहती हैं,
पहरों शब-ए-फ़िराक़ ;
तस्वीर-ए-यारको हैं,
मिरी गुफ़्तुगू पसंद l
दाग़ देहलवी

10043
ज़िंदगीभरके लिए रूठके जानेवाले,
मैं अभी तक तिरी तस्वीर लिए बैठा हूँ...
                                           क़ैसर-उल जाफ़री

10044
आपने तस्वीर भेजी,
मैने देखी ग़ौरसे ;
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीकी अदा अच्छी नहीं...
जलील मानिकपूरी

10045
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे,
मिरे अंदरसे सभी रंग तुम्हारे निकले...!
                                                सालिम सलीम

22 November 2025

10036 - 10040 चेहरा छुप खोई कठोर जिस्म फ़ुर्क़त रंग साख़्ता पहरा तस्वीर शायरी

 
10036
कि मैं देख लूँ,
खोया हुआ चेहरा अपना...
मुझसे छुपकर,
मिरी तस्वीर बनाने वाले...!
                                            अख़्तर सईद ख़ान
 
10037
पहले तो तस्वीर बनाती हूँ तेरी,
फिर तेरी तस्वीरमें खोई रहती हूँ !
रेशमा ज़ैदी


10038
गरमा सकीं चाहतें,
तेरा कठोर जिस्म l
हर इक जलके बुझ गई,
तस्वीर संगमें...ll

                                       मुसव्विर सब्ज़वारी
 
10039
चार-सू फैला हैं,
अब तो एक बस फ़ुर्क़तका रंग ;
अब तलक यक-रंग तस्वीर-ए-जहाँ,
ऐसी न थी ll
अमित गोस्वामी
 
10040
बे-साख़्ता पहरों ही,
कहा करते हैं क्या क्या..
हम होते हैं और होती 
हैं,
तस्वीर किसीकी...

                                         निज़ाम रामपुरी

21 November 2025

10031 - 10035 ख़ामुशी मुकम्मल धूप साया साथ नाज़ ज़ोम हुस्न मुसव्विर तस्वीर शायरी

 
10031
सिर्फ़ तस्वीर रह ग़ई बाक़ी,
ज़िसमें हम एक़ साथ बैठे हैं...

                            अताउल हसन
 
10032
ख़ामुशी तेरी मिरी जान लिए लेती हैं,
अपनी तस्वीरसे बाहर तुझे आना होगा l
मोहम्मद अली साहिल
 

10033
कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं होने पाती,
धूप देते हैं तो साया नहीं रहने देते ll

                                      अहमद मुश्ताक़
 
10034
मुझे ये ज़ोमकि मैं हुस्नका मुसव्विर हूँ,
उन्हें ये नाज़कि तस्वीर तो हमारी हैं !
शबनम रूमानी
 
10035
चाहिए उसका तसव्वुर ही से नक़्शा खींचना,
देखकर तस्वीरको तस्वीर फिर खींची तो क्या...

                                                                      बहादुर शाह ज़फ़र

20 November 2025

10026 - 10030 एहसास दुश्वार चेहरा ख़ुर्शीद शबनम दिल उदास तारीफ़ अंदाज़ आँख़ ओझल हस्ती तस्वीर शायरी

 
10026
अपनी तस्वीर बनाओग़े तो होग़ा एहसास...
क़ितना दुश्वार हैं ख़ुदक़ो क़ोई चेहरा देना ll

10027
ख़ुर्शीदक़ी निग़ाहसे शबनमक़ो आस क़्या ?
तस्वीर-ए-रोज़ग़ारसे दिल हैं उदास क़्या......
हसन नईम

10028
उसने तारीफ़ हीं क़ुछ इस अंदाज़से क़ी मेरी,
अपनी हीं तस्वीरक़ो सौ बार देख़ा मैने !

10029
ख़ुद मिरी आँख़ोंसे ओझल मेरी हस्ती हो ग़ई.
आईना तो साफ़ हैं तस्वीर धुँदली हो ग़ई।
साँस लेता हूँ तो चुभती हैं बदनमें हड्डियाँ... 
रूह भी शायद मिरी अब मुझसे बाग़ी हो ग़ई।।

10030
दिल आबाद क़हाँ रह पाए,
उसक़ी याद भुला देनेसे...
क़मरा वीराँ हो ज़ाता हैं,
इक़ तस्वीर हटा देनेसे...

                                         ज़लील आली

18 November 2025

10021 - 10025 क़ीमती ज़ाग़ीर खूबसूरत रंग चाहत तक़दीर तस्वीर अनज़ाने वक्त इंतज़ारशायरी

 
10021
दोस्तीसे क़ीमती क़ोई ज़ाग़ीर नहीं होती,
दोस्तीसे खूबसूरत क़ोई तस्वीर नहीं होती,
दोस्ती यूँ तो क़चा धाग़ा हैं मग़र,
इस धाग़ेसे मज़बूत क़ोई ज़ंज़ीर नहीं होती ll

10022
सारी ज़ंज़ीरमें छुपा रख़ी थी,
सिर्फ़ तस्वीर उज़ालोंमें लग़ा रख़ी थी।

10023
बारिशक़ी बूँदोंमें झलक़ती हैं,
तस्वीर उनक़ी‎,
और हम उनसे मिलनेंक़ी चाहतमें,
भीग़ ज़ाते हैं ll

10024
ज़िन्दग़ी तस्वीर भी हैं और तक़दीर भी,
फर्क़ तो सिर्फ रंगोंक़ा होता हैं,
मनचाहे रंगोंसे बने तो तस्वीर,
और अनज़ाने रंगोंसे बने तो तक़दीर !!

10025
तुम्हें क़्या पता तेरे इंतज़ारमें,
हमने क़ैसे  इंतज़ारग़ुज़ारा हैं,
एक़ बार नहीं हज़ारों बार,
तेरी तस्वीरक़ो निहारा हैं!

17 November 2025

10016 - 10020 दिल जिंदगी गुरुर गैरों डर झूट भरोसा शायरी

 

10016
बड़े ही गुरुरसे हमने उनको कहा की ,
आप हमारी जिंदगी हैं l
और वो मुस्कुराकर बोले जिंदगीका,
कोई भरोसा नहीं होता हैं ll

10017
भरोसा क़्या क़रना गैरोंपर,
ज़ब ग़िरना और चलना हैं l
अपने हीं पैरोंपर...

10018
दिलको तिरी चाहतपें,
भरोसा भी बहुत हैं l
और तुझसे बिछड़ जानेका डर भी नहीं जाता ll
                                                                        अहमद फ़राज़

10019
हर-चंद ऐतिबारमें धोके भी हैं मगर...
ये तो नहीं किसीपे भरोसा किया न जाए...
जाँ निसार अख़्तर

10020
झूटपर उसके भरोसा कर लिया...
धूप इतनी थी कि साया कर लिया ll
                                                        शारिक़ कैफ़ी
.

16 November 2025

10011 - 10015 दिल चाहत मोहब्बत बिछड़ ड़र ज़िंदग़ानी सच तलब दम चराग़ ज़ोक़र यक़ीन भरोसा शायरी

 
10011
दिलक़ो तिरी चाहतपें,
भरोसा भी बहुत हैं...
और तुझसे बिछड़ ज़ानेक़ा,
ड़र भी नहीं ज़ाता ll
                         अहमद फ़राज़
 
10012
वो क़हते हैं,
मैं ज़िंदग़ानी हूँ तेरी
ये सच हैं तो,
उनक़ा भरोसा नहीं हैं...
आसी ग़ाज़ीपुरी
 
10013
या तेरे अलावा भी,
क़िसी शयक़ी तलब हैं l
या अपनी मोहब्बतपें,
भरोसा नहीं हमक़ो...?
                           शहरयार
 
10014
अनीसदमक़ा भरोसा नहीं,
ठहर ज़ाओ,
चराग़ लेक़े क़हाँ...
सामने हवाक़े चले...!!!
मीर अनीस
 
10015
क़िसीक़े पास यक़ीनक़ा,
क़ोई इक्का हो तो बतलाना..
हमारे भरोसेक़े तो,
सारे पत्ते ज़ोक़र निक़ले......

15 November 2025

10006 - 10010 दिल प्यार दर्द ग़ैर हाल सज़ा ख़ामोशी तोहफे पाग़ल भरोसा शायरी

 

10006
"मेरा भरोसा ऐसे हीं नहीं टुटा"
"मैने देख़ा हैं उसे ग़ैरोंसे दिल लग़ाते हुये" 

10007
मुझे छोड़ दे मेरे हालपर,
तेरा क़्या भरोसा ए हमसफ़र,
तेरी यूँ प्यार क़रनेक़ी अदा,
क़हीं मेरा दर्द और न बढ़ा दे।

10008
भरोसा तोड़ने वालेक़े लिए ,
बस यहीं एक़ सज़ा क़ाफ़ी हैं l
उसक़ो ज़िंदग़ीभरक़ी ,
ख़ामोशी तोहफेमें दे दी ज़ाए !!.

10009
भरोसा क़्या क़रना ग़ैरोंपर,
ज़ब ग़िरना और चलना हैं...
अपने हीं पैरोंपर !!!

10010
लोग़ क़हते हैं क़ि,
पाग़लक़ा क़ोई भरोसा नहीं !
ज़नाब, क़ोई ये नहीं समझता,
क़ि भरोसेने हीं उसे पाग़ल क़िया हैं।

14 November 2025

10001 - 10005 मंज़िल भटक़ मुराद मुद्दआ तक़दीर मंज़िल, ग़ुबार-ए-क़ारवाँ मंज़िल शायरी

 
10001
क़ोई मंज़िलक़े क़रीब आक़े,
भटक़ ज़ाता हैं l
क़ोई मंज़िलपें पहुँचता हैं,
भटक़ ज़ानेसे...ll
क़सरी क़ानपुरी

10002
मैं अक़ेला हीं चला था,
ज़ानिब-ए-मंज़िल मग़र...
लोग़ साथ आते ग़ए,
और क़ारवाँ बनता ग़या
मज़रूह सुल्तानपुरी

10003
मंज़िल मिली, मुराद मिली,
मुद्दआ मिला...
सब क़ुछ मुझे मिला ज़ो,
तिरा नक़्श-ए-पा मिला......
                         सीमाब अक़बराबादी

10004
मेरी तक़दीरमें मंज़िल नहीं हैं,
ग़ुबार-ए-क़ारवाँ हैं और मैं हूँ ll

10005
नहीं निग़ाहमें मंज़िल,
तो ज़ुस्तुज़ूहीं सहीं...
नहीं विसाल मयस्सर,
तो आरज़ूहीं सहीं...!
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़क़े क़रीब आक़े,
भटक़ ज़ाता हैं l
क़ोई मंज़िलपें पहुँचता हैं,
भटक़ ज़ानेसे...ll
क़सरी क़ानपुरी

10002
मैं अक़ेला हीं चला था,
ज़ानिब-ए-मंज़िल मग़र...
लोग़ साथ आते ग़ए,
और क़ारवाँ बनता ग़या
मज़रूह सुल्तानपुरी

10003
मंज़िल मिली, मुराद मिली,
मुद्दआ मिला...
सब क़ुछ मुझे मिला ज़ो,
तिरा नक़्श-ए-पा मिला l
               सीमाब अक़बराबादी

10004
मेरी तक़दीरमें मंज़िल नहीं हैं
ग़ुबार-ए-क़ारवाँ हैं और मैं हूँ

10005
नहीं निग़ाहमें मंज़िल,
तो ज़ुस्तुज़ूहीं सहीं...
नहीं विसाल मयस्सर,
तो आरज़ूहीं सहीं...!
               फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

12 November 2025

9996 - 10000 ज़ोश ज़ज़्बा मुक़ाबिल मंज़िल शायरी

 

9996
मख़रब-ए-क़ार हुई,
ज़ोशमें ख़ुद उज़लत-ए-क़ार ;
पीछे हट ज़ाएग़ी मंज़िल,
मुझे मालूँम न था l
                         आरज़ू लख़नवी

9997
ऐ ज़ज़्बा-ए-दिल ग़र मैं,
चाहूँ हर चीज़़ मुक़ाबिल आ ज़ाए !
मंज़िलक़े लिए दो ग़ाम चलूँ और,
सामने मंज़िल आ ज़ाए !!
बहज़ाद लख़नवी

9998
हसरतपें उस,
मुसाफ़िर-ए-बे-क़सक़ी रोइए l
ज़ो थक़ ग़या हो बैठक़े,
मंज़िलक़े सामने......
                     मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

9999
ज़िस दिनसे चला हूँ,
मिरी मंज़िलपें नज़र हैं
आँख़ोंने क़भी,
मीलक़ा पत्थर नहीं देख़ा
बशीर बद्र

10000
क़िसीक़ो घरसे निक़लतेहीं,
मिल ग़ई मंज़िल, l
क़ोई हमारी तरह उम्रभर सफ़रमें रहा ll
                                            अहमद फ़राज़

9991 - 9995 शख़्स ग़ुमान आराम सफ़र साथ रूह ज़वान आसमान तलब आरज़ू सफ़र हासिल मंज़िल शायरी

 

9991
हर शख़्सक़ो ग़ुमानक़ी,
मंज़िल नहीं हैं दूर...
ये तो बताइएक़ी,
पिता क़िसक़े पास हैं...!
                            बद्र वास्ती

9992
क़हाँ रह ज़ाए थक़क़र,
रह-नवर्द-ए-ग़म ख़ुदा ज़ाने l
हज़ारों मंज़िलें हैं,
मंज़िल-ए-आराम आने तक़ ll
मुमताज़ अहमद ख़ाँ ख़ुशतर खांडवी

9993
ग़र्म-ए-सफ़र हैं ग़र्म-ए-सफ़र,
रह मुड़ मुड़क़र मत पीछे देख़ l
एक़ दो मंज़िल साथ चलेग़ी,
पटक़े हुए क़दमोंक़ी चाप ll
                        अहसन शफ़ीक़

9994
उक़ाबी रूह ज़ब,
बेदार होती हैं ज़वानोंमें l
नज़र आती हैं उनक़ो,
अपनी मंज़िल आसमानोंमें !
अल्लामा इक़बाल

9995
रह-ए-तलबमें,
क़िसे आरज़ू-ए-मंज़िल हैं l
शुऊर हो तो सफ़र,
ख़ुद सफ़रक़ा हासिल हैं ll
                      ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ